धर्म का हृदय में उल्लास, उत्साह के साथ बना रहे – मुनि सुश्रुत सागर महाराज

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केकड़ी 03 अक्टूबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल ) शहर में दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि संसार में धर्म से बढ़कर कोई भी अच्छाई नहीं है और अधर्म से बढ़कर कोई भी बुराई नहीं है। धर्म के माध्यम से जीवन में निखार आता है धर्म से ही सभी कार्य सफल होते हैं बस एक ही बात ध्यान रखने योग्य है कि धर्म सच्चा हो और धर्म करने वाले की भावना भी सच्ची होनी चाहिए। हमारी आत्मा का सम स्वभाव ही धर्म है, आत्मा की उज्जवल भावधारा ही धर्म है। धर्म का आश्रय लेने से प्रत्येक जीव दुखी से सुखी बन जाता है। धर्म नाव के समान है जो नाव की सवारी करेगा यानि जो धर्म को धारण करेगा वो ही पार लगेगा, संसार के भवसागर से तिरेगा। धर्म ही हमारे जीवन का निर्माण करता है।धर्म का उपदेश इसलिए दिया जाता है कि जिससे हम विषय रूपी राग द्वेष विकारी परिणामों से बचकर रहें और धर्म के मार्ग पर,मोक्ष के मार्ग पर बढ सके।

मुनिराज ने कहा कि हमारा जीवन तो मरण की ओर धीरे धीरे बढ़ रहा है हमे जीवन को सही मार्ग पर चलाना होगा ताकि जीवन उन्नति की ओर प्रशस्त रहें। हमें अपने जीवन में किये गये गलत व अनर्थ कार्यों का चिंतन- मनन करना चाहिए और इनसे बचकर रहना चाहिए दूसरों के भले के बारे में उनके हित का चिंतन करना चाहिए। मुश्किल से मिले इस जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। हमेशा हमारे मन में व चिंतन में हमारे आराध्य सच्चे देव शास्त्र गुरु ही रहना चाहिए। धर्म का हृदय में उल्लास, उत्साह के साथ बना रहना चाहिए। हमें अनंत सुख प्राप्त करने है तो अपने आत्म स्वरूप की ओर सम्यक दृष्टि व सम्यक श्रद्धान रखना चाहिए।

सम्यक दृष्टि और सम्यक श्रद्धान ही हमारे आत्मकल्याण के लिए सबसे आवश्यक है।
दिगम्बर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि मुनि महाराज ‍के प्रवचन से पहले आचार्य विधासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य अशोक कुमार विकास कुमार मनीष कुमार वीरेन्द्र कुमार सेठी परिवार बीजवाड़ वालो को मिला।
चंद्रप्रभु चैत्यालय मे दैनिक कार्यक्रमो में साढ़े छह बजे जिनेन्द्र भगवान का मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक शांतिधारा, सात बजे सामूहिक भक्ति पाठ एवं आचार्य वंदना, पौने आठ बजे अष्टपाहुड ग्रंथ का स्वाध्याय कक्षा, साढ़े आठ बजे मंगल प्रवचन, दस बजे मुनि संध की आहार चर्या, बारह बजे से तीन बजे तक निजी सामायिक प्रतिक्रमण चिन्तन मनन, तीन बजे स्वाध्याय कक्षा कार्तिकेयानुप्रेक्षा ग्रंथ, साढ़े पांच बजे प्रतिक्रमण- सामायिक, सात बजे तत्त्वार्थसूत्र ग्रंथ की कक्षा, इसी दौरान श्रद्धालुओं द्वारा गुरु भक्ति के साथ आचार्य सुनील सागर महाराज एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज की आरती की जाती है।

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