प्रभु कुछ देते भी नहीं और खाली हाथ भेजते भी नहीं-मुनि सुश्रुत सागर महाराज
केकड़ी। 10 सितंबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल/नरेश जैन की रिपोर्ट) शहर में देवगांव गेट के पास विद्यासागर मार्ग पर स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में प्रवचन करते हुए मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि प्रभु कुछ देते भी नहीं है और खाली हाथ भेजते भी नहीं है। निमित्त कुछ करते भी नहीं है और बिना निमित्त कुछ होता भी नहीं है। कुछ अदृश्य सम्यक आत्म शक्ति हमारी श्रद्धा भक्ति में प्रगाढ़ता लाती है। देव शास्त्र गुरु के प्रति हमारी श्रद्धा,भक्ति,श्रद्धा आराधना बढ़ती ही रहना चाहिए। भगवान की भक्ति में शुद्ध भावों का ही महत्व होता है। जैसे हमारे श्रद्धा भाव होंगे वैसा ही जीवन में उसका फल मिलेगा।
भगवान की पूजा अर्चना के साथ ही साथ जीवन का अतिमहत्वपूर्ण सद्कार्य व सभी जीवों के प्रति करूणा, दया,सहानुभूति, सेवा के भाव हमेशा रहने चाहिए यही जीवन की सार्थकता है। जीवन में भावों की महिमा अपरम्पार होती है।
मुनिराज ने कहा कि हमारे जीवन के परम उपकारी भगवान,सद्गुरु के गुणों का स्मरण और जाप के साथ उनका ध्यान करना चाहिए। इनके श्रद्धा के साथ नाम स्मरण करने से विशेष शक्ति मिलती है और यह शक्ति हमारे पापों को क्षीण करती है व हमारे पुण्य को बढ़ाती है। इस संसार में सही रास्ता मिलना मुश्किल है लेकिन जिनके आशीर्वाद से,प्रताप से सही रास्ता मिलता है। उनके गुणों की स्तुति अवश्य ही करना चाहिए। संसार और मोक्ष का मार्ग हमें ही चुनना होता है।इस जीवन में भगवान की पूजा आराधना एवं दान परोपकार आदि से इतना पुण्य अवश्य ही कर लेना चाहिए कि वो अगले भवों के लिए संचित हो जावे।
दिगम्बर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि मुनिराज के प्रवचन से पहले चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य परिवार को मिला। उदयपुर से परिवार सहित आए अनिल जैन एवं जयपुर से दिलीप जैन,अशोक जैन,दीपक सोगानी, सुनीला छाबड़ा आदि साथ ही अन्य स्थानों से आए गुरूभक्त श्रद्धालुओ ने मुनिराज के दर्शन कर, श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। दिगम्बर जैन समाज के सदस्यों द्वारा सभी का तिलक माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। जैन अग्रवाल युवा परिषद् के सदस्यों ने रितेश जैन के नेतृत्व में मुनिराज को जैन युवा परिषद् के तत्वावधान में आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में मुनिराज ससंध का मंगल आशीर्वाद एवं परम पावन सानिध्य प्राप्ति के लिए मुनिराज ससंध को श्रीफल समर्पित किया।