23 October 2025

धन पैर की धूली और मनुष्य पर्याय पानी की बूंद के समान-मुनिराज सुश्रुत सागर

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केकड़ी 19 जुलाई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) लक्ष्मी,धन, सम्पत्ति, गाड़ी, लाड़ी, पाड़ी ये किसी से भी अनुराग करने वाली नहीं है। जिसके खाते में पुण्य का जोर होगा ये तभी तक उनके पास रहेगी, थोड़ा सा पुण्य क्षीण हुआ पाप का उदय आया ये सब अपने आप जाने लगेगी। संसार की यही व्यवस्था है। ये संबोधन मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज ने दिया। मुनिराज चंद्रप्रभु चैत्यालय में वर्षायोग के लिए विराजित हैं आयोजित धर्मसभा में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि विद्वानों ने संसार में झगड़े के मुख्यता तीन प्रमुख कारण बताते हैं जर,जोरू और जमीन। विश्व की सारी लड़ाईयां इन्हीं तीन पर टिकीं थी।
मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि धन पैर की धूली, मिट्टी के समान है, मनुष्य पर्याय पानी की बूंद के समान चंचल है। जो कुछ भी हमें इष्ट हैं, वह धर्म से ही प्राप्त होता है। पहले के किए हुए पुण्य का फल ही है, पुण्य से ही धन संपत्ति बढ़ती है लेकिन वर्तमान में इसका सदुपयोग नहीं किया और धर्म से दूर रहें,विमुख रहे तो पुण्य क्षीण होता जायेगा और पाप का बंध होता जायेगा। काल, समय का कोई ठिकाना नहीं है। अच्छे-अच्छे धनाड्य परिवारों को भी पाप के उदय में भीख मांगनी पड़ी। राजा से रंक बनने में समय नहीं लगता ,बस थोड़ा सा पुण्य का बेलेंस नीचे आने की देर है।
मुनिराज ने संसार में फंसने की अवस्था को कथानक के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार एक साधु मात्र लंगोटी ग्रहण करने पर धीरे-धीरे पूरी गृहस्थी बसाकर फंसता ही चला गया।
मुनिराज ने कहा कि प्रभु सर्वज्ञ देव के चरणों की पूजा से धर्म बढ़ता है,धर्म से अनंत सुख की प्राप्ति होती है। धर्म की शरण ही मंगलकारी है, उत्तम है नित्य और शाश्वत है, संसार रूपी समुद्र से पार उतारने वाला है,मोक्ष को प्राप्त कराने वाला है।
दिगम्बर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति के प्रचार संयोजक नरेश जैन ने बताया कि मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज के प्रवचन से पहले आचार्य विधासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य दानमल संजय कुमार हार्दिक लक्षित गंगवाल परिवार परिवार को मिला। आतिथ्य सत्कार का लाभ भी गंगवाल परिवार को मिला।


भक्तामर स्तोत्र आनंद के अन्तर्गत प्रत्येक श्लोक में छुपे परम आनंद एवं रहस्य को ध्यान के माध्यम से जानने का होगा प्रयास

 चंद्रप्रभु चैत्यालय में वर्षायोग के लिए विराजित मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज की प्रेरणा से संधस्थ बाल ब्रह्मचारी शुभम भैया  एवं बाल ब्रह्मचारी ऋषभ भैया  के निर्देशन में  गुरुवार, 20 जुलाई को सायं सवा सात बजे चंद्रप्रभु चैत्यालय में आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भगवान आदिनाथ की स्तुति भक्तामर स्तोत्र पाठ जो कि जैन धर्म का एक प्रमुख पाठ है एवं सभी श्रद्धालुओं के लिए यह दृढ़ श्रद्धान और विश्वास का केंद्र है।
     भक्तामर स्तोत्र के हर श्लोक में विशेष ऊर्जा के साथ‌ परम आनंद और रहस्य छुपा हुआ है। जिसको सभी साधर्मी बंधुओं श्रद्धालुओं को ध्यान के माध्यम से  भक्तामर स्तोत्र आनंद के द्वारा जानने का प्रयास कराया जायेगा।

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