अहिंसा प्रिय है जैन समाज और धर्म,इसका मूल मंत्र ही अहिंसा परमो धर्म है।
केकड़ी 14 जुलाई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैन समाज और धर्म अहिंसा प्रिय है। जैन धर्म का मूल मंत्र ही अहिंसा परमो धर्म है। जैन धर्म में सूक्ष्म से सूक्ष्म एक इंद्रिय से पांच इंद्रियों के जीवों की रक्षा के लिए प्रतिपल,प्रतिसमय परिणामों में , भावों में और क्रियाओं में हिंसा नहीं होवे इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।मुनि सुश्रुत सागर महाराज देवगांव गेट के पास विद्यासागर मार्ग पर स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि जैन कभी भी हाथों में हथियार लेकर सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए अथवा अन्य किसी भी निमित्त सड़क पर नहीं उतरा। धर्म, परिवार समाज की एकता की बात आती है तो तब हमेशा एक बने रहना चाहिए। चाहे हमारी धर्म मान्यता,पूजा पद्धतियों में भेद हो सकते हैं, अलग-अलग हो सकती है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए।