राजस्थान की राजनीति में योगी के आगमन से आ सकता है राजनीतिक भूचाल

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अजमेर 12 जुलाई ( केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल)/इस आलेख के लेखक और राजनीतिक विश्लेषक है अशोक शर्मा अजमेर) 

खबरदार,योगी बालक नाथ पधार रहे हैं राजस्थान की राजनीति में जबरदस्त भूचाल । अब ये योगी कौन है और क्यों चर्चित है?..

योगी बालक नाथ,योगी आदित्यनाथ के हूबहू नक्शे-कदम पर।अलवर से भाजपा के सांसद।अभी पीएम के राजस्थान में तीनों कार्यक्रमों में शामिल थे।तभी से खुसर-पुसर शुरू हो गई थी कि भाईसाहब राजस्थान की राजनीति के शीर्ष नेतृत्व में अंगद का पांव रखने वाले हैं और उन्होंने रख दिया। शीर्ष मतलब सीएम पद की ओर।राजनीति की जिस तरह चौरस बिछी है,उसके संकेत यही हैं।

हाल ही योगी बालक नाथ को प्रदेश भाजपा का उपाध्यक्ष बना दिया गया । पिछले एक साल से यह चल रहा था कि बालक नाथ राजस्थान की राजनीति में शीर्ष पर आएंगे।हाल ही उन्हें उपाध्यक्ष बनाया जाना उसी की प्रस्तावना है।अब योगी आगे आ गए हैं तो वसुन्धरा समेत भाजपा के कई चेहरे सिमट जाएंगे।पीएम मोदी का अपनी हालिया सभाओं में इन्हें लाना इस बात की प्रस्तावना हो गई कि अगर राजस्थान में भाजपा की जीत हुई तो बालक नाथ ही सीएम होंगे,शेष सभी इनके पीछे।

बालक नाथ अभी तब चर्चा में आए जब उन्होंने अलवर डीएसपी आनन्द राव को चेतावनी दे दी थी कि राजस्थान में भाजपा सत्ता में आने वाली है,उसके आते ही सभी भ्रष्टाचारियों को मिट्टी में मिला देंगे।

अगर बालक नाथ आते हैं तो वे राजस्थान कांग्रेस और वसुंधरा, दोनों के लिए टेंशन बढेगी।यह सच है कि बालक नाथ के तेवर हूबहू योगी आदित्यनाथ जैसे हैं,ऊपर से उनका लिबास भी। और पीएम के खास कृपा पात्र भी। संभवतः मोदी जी इसीलिए वसुन्धरा को भाव नही दे रहे थे।बालक नाथ बाबा मस्त नाथ विश्व विद्यालय के चांसलर हैं तथा नाथ सम्प्रदाय के 8 वें प्रमुख महंत भी। महंत चांदन नाथ ने 29 जुलाई 2016 को बालक नाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, उनके ताजपोशी कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव ने भी शिरकत की थी।बालक जाति से यादव हैं।समाज सुधारक,कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, आध्यात्मिक गुरु जैसी कई उपाधियां प्राप्त हैं।

हाल ही उन्हें उपाध्यक्ष बनाये जाने के बाद राजस्थान की राजनीति में उनका कद बढ़ गया है।इसके साथ ही वे मोदी के ट्रम्प कार्ड बन कर उठे हैं।मेवात इलाके में इनकी मजबूत पकड है,साथ ही वे हिन्दुत्ववादी और फायर ब्रांड नेता भी हैं।2019 में पहली बार अलवर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भंवर जितेन्द्र सिंह के खिलाफ सांसद का चुनाव लडा था और लगभग तीन लाख मतों से चुनाव जीत गए।यह उनकी पहली और जबरदस्त जीत थी।हाल ही जुलाई में वे गहलोत पर भी बरस पडे थे यह कह कर कि गहलोत मुगलिया सरकार है।योगी बालक नाथ के आ जाने से सबसे ज्यादा गजेन्द्र सिंह शेखावत के मनसूबों पर पानी फिरेगा,उसके बाद राजेन्द्र राठौड़ के मनसूबों पर। सतीश पूनिया को पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है, वसुन्धरा को केन्द्र चाह नहीं रहा।मतलब कि बालक नाथ के लिए रास्ता साफ। केन्द्र की यह तैयारी भीतर ही भीतर पिछले एक साल से चल रही थी, और बस चुनाव को चार महीने ही शेष रहते पासा फेंक दिया गया।अब बालक आ रहे हैं तो उनके सपोर्ट के लिए योगी आदित्यनाथ भी आयेंगे और उनके लिए राजस्थान में फ़ैला नाथ सम्प्रदाय, साधु-संत जमात सब बालक के हुए समझो। यदि बालक आए तो तयशुदा चुनाव में भितरघात होगा,इनके आगमन से कसमसाए हुए भाजपाई हर हाल में भितरघात करेंगे।चौरस बिछ चुकी है,चाल भी चली जा चुकी है अब जो हवाएं चलेंगी,वह उस चाल के वेग की होंगी।

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