गुरूजनों के वचन मोह रूपी अन्धकार को नष्ट करने वाले हैं_मुनि सुश्रुत सागर

केकड़ 11 जुलाई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) देवगांव गेट के पास विद्यासागर मार्ग पर स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में आयोजित धर्मसभा को धर्मोपदेश देते हुए मुनि सुश्रुत सागर ने कहा कि गुरूजनों के वचन मोह रूपी अन्धकार को नष्ट करने वाले हैं। संसारी जीव मोह के कारण इस संसार में निरन्तर भटक रहा है। जीव मोह को नष्ट करके भगवान के समान अनंत सुख को प्राप्त कर सकता है।
मुनिराज ने कहा कि संसार अंधकार मय है इसमें संयम रूपी प्रकाश से ही मोक्षमार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।जीव आभूषण से नहीं संयम से सुशोभित होता है। संसार या शरीर को नहीं आत्मा को संभालना चाहिए।जीव की अज्ञान अवस्था से होने वाले संसारी संकल्प विकल्प ही जीवन में अस्थिरता उत्पन्न करते हैं, ये ही सुख दुःख के कारण है। आत्मा के अनंत गुण सदाकाल आत्मा में ही रहते हैं। आत्मा से कभी भी बाहर नहीं जाते।प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, लेकिन कर्मों की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। कर्म अनादिकाल से लगे हैं। बस कर्मों को हमें ही काटना है। जो आज भगवान बने हैं वे भी पुरूषार्थ के बल से ही बने हैं। सच्चे पुरूषार्थ से देव, शास्त्र, गुरु की उपासना,आराधना करके जीवन को संयमित करके पुण्य संचय किया जा सकता है। अशुभ पाप कार्यों से बचकर पुण्य संचय हेतु शुभ कार्य करने चाहिए।
नरेश जैन प्रचार संयोजक दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी ने बताया कि मुनिराज जी के प्रवचन से पहले आचार्य विधासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य मुकेश कुमार अर्पित कुमार निकांशु अयांश शाह परिवार को मिला।