गुरु के आशीर्वाद से निकलने वाली ऊर्जा व्यक्ति को धर्म मार्ग में लगाने की ताकत देती है_मुनि सुश्रुत सागर
केकड़ी10 जुलाई (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल) दिगम्बर रूप मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि किसी भी प्रकार की धन- संपत्ति, रूपया- पैसा, जमीन- जायदाद हमेशा हमारे पास रहने वाले नहीं हैं,इनकी पर्याय शाश्वत नहीं है जो आज करोड़ पति है वो कल रोड़ पति बन सकता है और जो आज रोड़ पति है वो करोड़ पति बन सकता है। संसार में सारा खेल पुण्य पाप का है। यह शरीर एक आने वाली श्वास के ऊपर निर्भर है।सांस रूकने पर इस शरीर को बाॅडी नाम देकर शीध्र ही माचिस की एक तूली की कृपा के लिए ले जाया जाता है बस तूली लगी और खेल खत्म। लेकिन शाश्वत जो अंदर विराजित जीव आत्मा है। वह जो अजर अमर है बस एक पर्याय छूटी दूसरी जगह नयी पर्याय तैयार रहती है। आत्मा को अनंत सुख में ले जाने वाला धर्म ही है।और यही हमारे साथ हमेशा रहेगा।
उन्होंने कहा कि गुरू अभय का प्रतीक है, गुरु अभयदान देता है। गुरु के आशीर्वाद से निकलने वाली ऊर्जा व्यक्ति को धर्म मार्ग में लगाने एवं धर्म मार्ग पर निरन्तर बने रहने की ताकत देती है। धर्म नित्य ही लोगों के मन के भावों को पवित्र करता है। इस संसार में धर्म की शरण ही सब से उत्तम है। प्रवचन से पहले आचार्य विधासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य कैलाशचंद पदमचंद सुरेन्द्र कुमार राजेन्द्र कुमार देवेन्द्र कुमार सोनी परिवार को मिला। मंगलाचरण सोनल सोनी ने किया।