चंद्रप्रभु जैन चैत्यालय में आयोजित धर्मसभा मे मुनि श्री सुश्रुत सागर जी ने दिया धर्मोपदेश, कल होंगे विभिन्न धार्मिक आयोजन
केकड़ी 24 जून (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) देवगांव गेट के पास विद्यासागर मार्ग पर स्थित चंद्रप्रभु जैन चैत्यालय में आयोजित धर्मसभा में धर्मोपदेश देते हुए मुनि श्री सुश्रुत सागर जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार शरीर के सही संचालन के लिए वात ,पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है उसी प्रकार जीवन को सही चलाने में राग , द्वेष और मोह का जीवन में संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है।
उन्होंने कथानकों के माध्यम से समझाया कि किसी भी निमित्त के कारण क्रोध आने पर उसकी प्रतिक्रिया के लिए थोड़ा सा रूक जाना चाहिए। इससे क्रोध के भावों में परिवर्तन हो जाता है।और भावों में सरलता बन सकती है। क्रोध में लिया गया निर्णय कभी भी सही नहीं होता है।जीवन के विकास के लिए सकारात्मक सोच और विचार के साथ उचित मेहनत भी आवश्यक होती हैं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के परिणामों में सरलता और पवित्रता के साथ जीवन में अनुशासन होना आवश्यक है। अनुशासन के कारण ही व्यक्ति के जीवन में ही नहीं पशुओं में भी कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार दूध और पानी के समूह में से हंस समस्त दूध को ग्रहण कर लेता है उसी प्रकार सत्पुरुष सज्जन व्यक्ति हमेशा ही दूसरों में गुण और दोषों के समूह में से केवल गुणों को ही ग्रहण करता है पसंद करता है जबकि दुर्जन व्यक्ति दोषों की तरफ ही दृष्टि रखता है। दुर्जन दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति निर्दोष कार्यों, रचनाओं को भी दोषयुक्त ही देखते हैं। उल्टी समझ के कारण ही लोग दुखी होते हैं। किसी के भी परिणामों में मन में किसी के भी प्रति ऐसे शब्द और व्यवहार नहीं आना चाहिए जो उन्हें दुखी और व्यथित करें। शब्दो के धाव शस्त्रों के धाव से भी ज्यादा कष्टकारी दुःख दायक होते हैं। जिस व्यक्ति को आत्मसम्मान अच्छा लगता है, प्यारा होता है वो व्यक्ति कभी भी गलती नहीं करता है।
मुनि श्री ने कहा कि जीवन में आत्मसंयम का होना आवश्यक है।आत्मसंयम और समझपूर्वक, विवेकपूर्ण जिंदगी जीने वाला व्यक्ति ही जीवन में उत्कर्ष को प्राप्त करता है।
विशेष संबोधन: नरेश जैन ने बताया कि रविवार को प्रातः साढ़े आठ बजे चंद्रप्रभु चैत्यालय के बाहुबली कक्ष में मुनि 108 श्री सुश्रुत सागर जी महाराज द्वारा दस वर्ष से अधिक उम्र के युवक एवं युवतियों के लिए महत्वपुर्ण संबोधन दिया जाएगा।
अष्टान्हिका महापर्व पर सोमवार से श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के माध्यम से होंगे विविध धार्मिक आयोजन
चंद्रप्रभु जैन चैत्यालय में मुनि श्री सुश्रुत सागर जी महाराज के सानिध्य में अष्टान्हिका महापर्व पर छब्बीस जून से चार जुलाई तक सिद्धचक महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ महोत्सव के अन्तर्गत सिद्ध भगवंतों की आराधना की जायेगी।
सोमवार को प्रातः साढ़े छह बजे से जिनेन्द्र प्रभु का अभिषेक , शांतिधारा सहित गुरूआज्ञा, ध्वजारोहण, धटयात्रा, सकलीकरण,मंडप शुद्धि मुनि श्री के प्रवचन सहित कई धार्मिक अनुष्ठान होंगे। विधान में विशेष धार्मिक क्रियाओं में मुख्य भूमिका निभाने के लिए श्रेष्ठ पात्रों का चयन बोलियों द्वारा होगा। सायंकाल मंडल विधान और जिनेन्द्र प्रभु की महाआरती के कार्यक्रम होंगे।