आज का युवा बिना मेहनत किये पैसा कमाना चाहता है-एस के भार्गव
अजमेर 15 जून (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल,डॉ.मनोज आहूजा) सेशन कोर्ट अजमेर के वरिष्ठ अधिवक्ता एस के भार्गव से हुई खास मुलाक़ात के दौरान उन्होंने वकालात के क्षेत्र में आए हुए परिवर्तनों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सन्न 60 व 70 के दशक में जब हम वकालात के क्षेत्र में आए तब इसे शाही पेशा माना जाता था। समाज में अधिवक्ता को अत्यधिक सम्मान दिया जाता था।वकील अपने सिद्धांतों से समझौते नहीं करते थे और वकालात के व्यवसाय को सेवा की तरह किया जाता था। उन्होंने बताया कि वो वर्ष 1964 से अजमेर में वकालात कर रहे हैं।अपने जूनियर को यही सिखाया कि कड़ी मेहनत करो और ऐसी दिवार बनाओ कि उसे लात मारकर तोड़ने कि इच्छा रखने वाला खुद अपनी टांग ही जख्मी कर बैठे अर्थात जो भी मुकदमा लड़ने जा रहे हो उससे सम्बंधित कानूनी प्रावधान व उसको सपोर्ट करते हुए लेटेस्ट अपडेट जजमेंट का अवलोकन करने के बाद ही अपना दांव लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो नए अधिवक्ता आ रहे हैं उनमें से अधिकांश अधिवक्ता का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना है उसके लिए वकालात एक व्यवसाय है लेकिन व्यवसाय किस प्रकार करना है,व्यवसाय में पैठ कैसे बनेगी उससे उनको कोई मतलब नहीं है।उन्होंने कुछ दिनों पूर्व का ही एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक वकील ने अपने मुवाक्किल को गलत तथ्य बताकर रूपये प्राप्त कर लिए अब वो मुवाक्किल रोज चक्कर लगा रहा है लेकिन वकील साहब ना तो उसका फोन उठा रहे हैं ना मिलकर संतुष्ट कर पा रहे हैं।उन्होंने कहा कि आज का युवा पैसा कमाने की चाहत रखते हुए यह भूल गया है कि वकालात एक सेवा है, एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे पहले खुद को तपना होता है,लगभग एक साल तक मुंशी का काम करके प्रोसेस को समझना होता है उसके बाद न्यायालय की प्रोसीडिंग,न्यायालय की भाषा सहित न्यायालय में पेश किये जाने वाले दावे,प्रार्थना पत्र आदि की विभिन्न स्टेजेज को समझने के लिए भी समझ व समय देना पड़ता है।इन सब विषयों से सम्बंधित अनुभव लेना होता है तब जाकर उस अनुभव का लाभ खुद को व सोसायटी को मिल पाता है।
उन्होंने नए युग में आए बदलाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इन बदली हुई परिस्थितियों में आजकल मुवाक्किल भी आते ही यही पूछता है कि अमुक….. से..है या नहीं? भार्गव ने इस गरिमामयी पेशे के गिरते हुए स्तर के लिए ऐसे ही कुछ नए और युवा अधिवक्ता की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी मानते हुए उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की नसीहत देते हुए कहा है कि वकालत एक सेवा है, एक जज्बा है,एक जूनून है इसे बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत, ईमानदारी व धैर्य की आवश्यकता है।उन्होंने अपने साथी जूनियर अधिवक्ता नरेन्द्र सिंह राठौड़ जो वर्तमान में बार अध्यक्ष हैं का उदाहरण देते हुए बताया कि आज मुझे इस बात का गर्व है कि मेरे साथी ने हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है जिसका मुख्य कारण इनकी कड़ी मेहनत व अपने पेशे के प्रति ईमानदारी है।