डिस्काउंट ऑफर का लाभ ना देना डी मार्ट को पड़ा भारी,उपभोक्ता आयोग ने लगाया ₹12000 का जुर्माना

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केकड़ी 18मई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल ) साबुन की एमआरपी पर छूट का ऑफर देने के बावजूद छूट का वास्तविक लाभ ना देना d-mart को भारी पड़ गया उपभोक्ता की शिकायत पर न्यायालय जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा d-mart पर ₹12000 का जुर्माना लगाते हुए छूट की राशि लौटाने के आदेश दिए हैं। हरिभाऊ उपाध्याय नगर निवासी सुमित गोयल ने एडवोकेट तरुण अग्रवाल के जरिए न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अजमेर में वाद पेश कर बताया कि वह 29 दिसंबर 2019 को घरेलू सामान की खरीददारी के लिए पंचशील स्थित डी मार्ट स्टोर गया था। स्टोर में ढाई सौ ग्राम वाली सर्फ एक्सेल डिटर्जेंट बार की एमआरपी ₹26 पर ₹1 की छूट का ऑफर दिया जा रहा था। सुमित ने अन्य सामान के साथ ही ऑफर का लाभ लेने के लिए 10 नग साबुन के क्रय किए जिसकी कुल बिल राशि रुपए 1985 का नगद भुगतान कर दिया था। सुमित ने जब बिल देखा तो पाया कि बिल में साबुन की कीमत ₹26 लगाई गई है जबकि ₹1 की छूट के बाद यह रेट ₹25 लगाई जानी चाहिए थी। इस प्रकार उससे 10 साबुन पर ₹10 अधिक वसूल कर लिए। उसने इसकी शिकायत डी मार्ट प्रबंधन को की तो उसकी शिकायत को अनसुना कर दिया तब सुमित ने स्टोर की शिकायत पुस्तिका में लिखित शिकायत दर्ज की किंतु इसके बावजूद भी न तो अधिक ली गई राशि लौटाई गई ना ही शिकायत का जवाब दिया गया। इससे व्यथित होकर उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद पेश किया। परिवाद के साथ छूट के ऑफर डिस्प्ले की फोटो तथा शिकायत की प्रति भी पेश की।डी मार्ट की तरफ से आयोग में जवाब पेश कर बताया कि यह ऑफर किसी अन्य दिवस का है तथा उपभोक्ता द्वारा सामान क्रय किए जाने वाले दिन साबुन की कीमत ₹29 थी जिसे छूट देने के बाद ₹26 का दिया जा रहा था। जवाब में उपभोक्ता द्वारा शिकायत रजिस्टर में दर्ज की गई शिकायत के बारे में कोई कथन नहीं किया।न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष रमेश चंद शर्मा सदस्य दिनेश चतुर्वेदी , जयश्री शर्मा ने अभिलेख पर उपलब्ध अभिवचनों, दस्तावेजों व बहस में पाया कि उपभोक्ता द्वारा परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य, उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य, फोटो एवं शिकायत के रजिस्टर की फोटो प्रति से यह प्रमाणित है कि उसे सर्फ एक्सेल बार ढाई सौ ग्राम जिसकी एमआरपी 27 व छूट के बाद डी मार्ट प्राइस डिसप्ले पर रु 25 थी, के ₹26 प्रति नग से कुल दस नग के ₹10 अधिक लिए गए हैं जो प्रार्थी के स्तर से सेवा दोष है। आयोग द्वारा d-mart के कथनों को यह कहते हुए नकार दिया कि इतना कहना पर्याप्त नहीं है कि उपभोक्ता द्वारा बताई गई रेट किसी अन्य दिवस की है इस संबंध में d-mart द्वारा कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया ना ही उपभोक्ता की साक्ष्य का विधिक तौर पर खंडन किया जा सका है। आयोग ने डी मार्ट को 10 डिटर्जेंट बार के अधिक लिए गए रु 10 पीड़ित उपभोक्ता को लौटाने के साथ ही मानसिक संताप व आर्थिक क्षतिपूर्ति पेटे रुपए ₹10000 तथा परिवाद व्यय के ₹2000 देने के आदेश दिया। उपभोक्ता न्यायालय में उपभोक्ता की और से एडवोकेट तरुण अग्रवाल ने पैरवी की।

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