बघेरा में राजा जी की बावड़ी गंदगी व दुर्दशा की शिकार

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केकड़ी जिला के बघेरा कस्बा एक ऐतिहासिक पौराणिक और आध्यात्मिक कस्बा रहा है यहां धार्मिक ऐतिहासिक और पौराणिक स्मारक, मंदिर, स्तंभ बावडिया, छतरियां अपना इतिहास खुद को बयान कर रही है डाई नदी के किनारे  हिसामपुर, देवली रोड पर एक प्राचीन बावड़ी है जिसका निर्माण पूर्णतया शिला खंडो जिसे लांगड़िया कहा जाता है से हुई है । इसके पास ही राजाजी का एक छोटा सा मंदिर था जिसका वर्तमान समय में जीर्णोद्वार कर इसे नया रूप दे दिया गया है। 

स्थानीय लोगों का मानना है कि राजतंत्र में स्थानीय राज परिवार के राजाओं द्वारा इस बावड़ी का निर्माण करवाया गया था। इसलिए इस बावड़ी का नाम राजा जी की बावड़ी तथा मंदिर को  राजा जी का मंदिर नाम से जाना जाता है।

राजा जी की बावड़ी समय की मार चलते अपना वजूद खोने को मजबूर हो रही है यहां तक कि बावड़ी के चारों तरफ और बावड़ी में गंदगी का आलम है ।चारों तरफ कचरे का ढेर लगा हुआ है, यहां तक की बावड़ी के अंदर भी बबूल सीना तान कर खड़े हैं जो लगातार बावड़ी को नुकसान पहुंचा रहे हैं यह सब इसकी दुर्दशा को बयान कर रहा है। स्थानीय प्रशासन हो या मंदिर पुजारी और धर्म प्रेमी और न ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता भी इसकी सुध नहीं ले रहा है ना किसी का ध्यान इस तरफ है । राजा जी की बावड़ी के बारे में किवदंती है कि इसके पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं इसके साथ इसका धार्मिक महत्व माना जाता रहा है । कस्बे और आसपास के ग्रामीण जन राजा जी की बावड़ी में डुबकी लगाया करते थे तथा बोतलो में पानी भर भर के ले जाया करते थे लेकिन वर्तमान में इसकी गंदगी और इसकी दुर्दशा पर यह खुद आंसू बहाने को मजबूर हो रही है। 

मंदिर पुजारी महेंद्र योगी ने बताया कि जन सहयोग और स्थानीय प्रशासन का सहयोग मिला तो इस बावड़ी की सफाई करवाने का प्रयास किया जाएगा।

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