जैन समाज: ध्वजारोहण ,मंगल कलश स्थापना की मांगलिक क्रियाओं के साथ शुरू हुआ स्वानुभव वर्षायोग
केकड़ी 09 )केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल) रविवार को मुनि सुश्रुत सागर महाराज एवं क्षुल्लक सुकल्प सागर महाराज ससंध का आगामी पांच माह तक स्वानुभव वर्षायोग के लिए श्रद्धालु भक्तों द्वारा मंगल कलश स्थापित किये गये। आयोजित समारोह में ध्वजारोहण, मंगलाचरण ,चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, पाद प्रक्षालन,शास्त्र भेंट , मुनिराज सुश्रुत सागर का मंगल प्रवचन सहित अन्य कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज एवं क्षुल्लक सुकल्प सागर महाराज के सानिध्य में प्रातः आठ बजे ऋषभदेव जिनालय,बोहरा कालोनी से बैंड बाजों के साथ चंद्रप्रभु चैत्यालय के लिए जुलूस निकाला गया। जुलुस चंद्रप्रभु चैत्यालय पहुंचकर मंगल कलश स्थापना समारोह में तब्दील हो गया।
इनको मिला मंगल कलश एवं मांगलिक क्रियाओं का मौका
सर्वप्रथम कैलाशचंद पदमचंद सुरेन्द्र कुमार राजेन्द्र कुमार देवेन्द्र कुमार सोनी परिवार ने ध्वजारोहण की मांगलिक क्रियाएं सम्पन्न की।मुख्य मंगल कलश शांति लाल धर्मेन्द्र कुमार गजेन्द्र कुमार पाण्डया परिवार, चित्र अनावरण एवं शास्त्र भेंट पदमचंद अरिन्जय कुमार गौरव कुमार सेठी परिवार कुचील वाले, पाद प्रक्षालन एवं आचार्य आदिसागर कलश महेश कुमार राकेश कुमार विशाल कुमार ठोलिया परिवार जयपुर, आचार्य विमल सागर कलश सज्जन कुमार संजय कुमार युग कुमार पाण्डया परिवार, आचार्य सन्मति सागर कलश पदम कुमार विनय कुमार कटारिया परिवार, आचार्य विधासागर कलश महावीर प्रसाद पदमचंद कासलीवाल परिवार बीजवाड वाले, आचार्य सुनील सागर कलश भंवरलाल अरिहंत कुमार बज परिवार को मिला।
मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज ससंध के वर्षायोग के चलते केकड़ी सकल दिगम्बर जैन समाज में हर्षोल्लास का वातावरण बना हुआ है। मंगल कलश स्थापना के सभी मांगलिक कार्य सम्पन्न किये।
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भव्य मंगल कलश स्थापना समारोह में सहभागिता कर पुण्यार्जन किया। समारोह में बड़ी संख्या में सम्मिलित गुरु भक्तगणों का भरपूर उत्साह देखने को मिला। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं एवं गुरूभक्तो ने समारोह में सहभागिता कर पुण्यार्जन किया। गुरु भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा था। वर्षायोग स्थापना के लिए रखे गए मंगल कलश विशेष आकर्षित लग रहे थे।
चंद्रप्रभु चैत्यालय पाठशाला की बच्चियों ने भक्ति नृत्य मंगलाचरण किया।और मंजू बज ने मंगलाचरण के साथ गुरू भक्ति में अपने भावो के उद्गार व्यक्त किए।
मांगलिक क्रियाएं पंडित देवेन्द्र जैन द्वारा की गई। जयपुर से पधारे संगीतकार नरेन्द्र जैन ने समारोह में अध्यात्म रूपी भजनों के भक्तिरस से अमृत के प्याले का स्वाद चखा दिया,मंगल कलश की बोलियों में चार चांद लगा दिए। महावीर टोंग्या ने मंच संचालन किया।
प्रातः आठ बजे से बारह बजे तक अनवरत चले समारोह में मौसम भी ऐसा कि पता नहीं इंद्रदेव की कब मेहरबानी हो जाऐ लेकिन जैसे ही सभी मांगलिक कार्यक्रम एवं मुनिराज के प्रवचन सम्पन्न हुए काफी समय से इंतजार कर रहे इंद्रदेव ने मंगल कलश स्थापना समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, माहौल खुशनुमा बना दिया। जयपुर, सांगानेर, टौंक, निवाई सावर ,बधेरा,जूनियां,सरवाड, मेहरू आदि जगह से भी गुरूभक्तो की उपस्थिति रही।
मुनि सुश्रुत सागर महाराज का सम्बोधित किया
चंद्रप्रभु चैत्यालय परिसर में आयोजित मंगल कलश स्थापना समारोह में मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने धर्मसभा में प्रवचन की शुरुआत चंद लाइनों से की
ना किसी के प्रभाव में जीये,ना किसी के अभाव में जीये
हे ज्ञानी आत्मन जीना है तो,अपने अपने स्वभाव में जीये
उन्होंने कहा कि स्व का अनुभव करने का योग है वर्षायोग। एक सामान्य कलश को विशेष सामग्री एवं मंत्रोच्चारण के साथ मंगल कलश बनाकर स्थापित करना, कलश स्थापित करने की प्रक्रिया है। कलश स्थापना धर्म ध्यान करने का एक माध्यम है।
साधु का एक क्षण और अन्न का एक कण बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। साधु की कीमत धन दौलत सम्पत्ति से नहीं साधना से होती है। उन्होंने कहा कि मंगल कलश स्थापना के साथ ही अपने अपने मन के भावों के क्लेश को भी हटा देना और पवित्र भावों से, निर्मल मन से, सरल हृदय से पूर्ण रूप से जागृत होकर भक्ति करनी है, जिनवाणी का अनुश्रवण करना। अनादिकाल से यह जीव आत्मा के विपरित भाव, विभाव के कारण संसार परिभ्रमण कर रहा है।
साधु के आने से समाज में प्रेम बढ़ता है और साधु समाज में वात्सल्य भाव स्थापित कराता है। साधु या गुरु के पास कोई आवे अथवा नहीं आवे गुरु उसमें हर्ष या विषाद नहीं करते। मंगल आशीर्वाद देते हुए मुनिराज ने कहा इस केकड़ी नगर में धर्म की प्रभावना बढ़े। साथ ही कहा कि मैं किसी विशेष जाति का महाराज नहीं हूं, मुझे तो जो भी माने मैं तो उसी का हूं,चाहे वो किसी भी जाति से और कोई भी हो।
पत्रिका एवं पुस्तक विमोचन : जयपुर से पधारे महेश कुमार, राकेश कुमार विशाल कुमार खुशबू शक्ति ठोलिया परिवार द्वारा अंकलीकर वाणी और भावना द्वाविंशति नामक पुस्तकों का विमोचन किया गया। साथ ही दिल्ली में चातुर्मास के लिए विराजित आचार्य सुनील सागर महाराज की चातुर्मास पत्रिका का विमोचन किया गया।