ढोला मारु का इंतजार भले ही खत्म हो गया हो लेकिन तोरण द्वार का इंतजार कब खत्म होगा

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केकड़ी 26 मई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल ) राजस्थान में पर्यटन को उद्योग का दर्जा तो दे दिया लेकिन आज भी प्रदेश में अनेक ऐतिहासिक धरोहर व पर्यटन स्थल ऐसे है जिनसे सरकार को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है लेकिन उनकी देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोने को मजबूर हो जाते हैं, बदहाली के शिकार हो रहे हैं कई जगह तो ऐसा देखा गया है कि उनको सुरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए नीला बोर्ड लगा दिया जाता है लेकिन उनकी सुध तक नहीं ली जाती है और वह बदहाली के शिकार हो जाते हैं।

सरकार पूरी कोशिश करती है कि ऐतिहासिक स्मारकों को सुरक्षित किया जाए।अधिकारियों कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी दी जाती है कि वह उनकी सुध ले अब इसे कर्मचारियों की लापरवाही या गैर जिम्मेदाराना व्यवहार समझे या फिर सरकार की उदासीनता या फिर स्थानीय लोगो की उदासीनता की सरकार द्वारा नीला बोर्ड लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है।

  • निखर रहा है मंदिर पर तोरण द्वार है बदहाल

जस्थान के ऐसे ही एक कस्बे की बात करते हैं जहां ऐतिहासिक धरोहर अपनी अलग ह पहचान रखते है।केकड़ी जिले में 18 किलोमीटर दूर पर बसे हुए ऐतिहासिक पौराणिक और आध्यात्मिक कस्बे बघेरा जहां आज कण कण में धर्म, अध्यात्म और ऐतिहासिकता खुद-ब-खुद बयान हो रही है लेकिन इस ऐतिहासिक कस्बे में ऐसी अनेक ऐतिहासिक स्मारक है जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहै है ।बघेरा में विश्व प्रसिद्ध शूर वराह मंदिर है जहां पर पिछले कांग्रेस काल के दौरान क्षेत्रीय विधायक डॉ रघु शर्मा ने करीब 50 लाख की राशि स्वीकृत कर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और यहां पर अनेक ऐतिहासिक कार्य करवाए और एक बार फिर 90.18 लाख के विकास कार्य प्रगति पर है।

  • तोरण द्वार उपेक्षित क्यों ?

बघेरा कस्बे में ही ढोला मारु का ऐतिहासिक तोरण द्वार आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है । देखने को तो वहां पर सरकार ने नीला मोड लगाकर सुरक्षित स्मारक घोषित कर दिया है लेकिन आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण और गंदगी का आलम इतना है की वहां आने वाले पर्यटकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी और यह ऐतिहासिक धरोहर रखरखाव के अभाव में जर्जर हो रही है ,जगह-जगह दरारें पड़ चुकी है, अगर इसका समय पर जीर्णोद्धार नहीं कराया गया तो आने वाले समय में यह ऐतिहासिक धरोहर खुद एक इतिहास बन कर रह जाएगी।

  • बस एक दिन रहता है सुर्खियों में

प्रतिवर्ष 14 फरवरी को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले पहुंच जाते हैं उसका कवरेज करने के लिए और अगले दिन बघेरा का यह ऐतिहासिक तोरण द्वार अखबारों की सुर्खियां बनत है लेकिन फिर सब उसे भूल जाते हैं छोड़ देते हैं उसे अपनी हालत पर आंसू बहाने के लिए ।आज आवश्यकता है कि क्षेत्रवासी विशेषकर युवा एक नई पहल करें और इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का पुरजोर प्रयास करें तो निश्चित रूप से यह है ऐतिहासिक स्मारक बचाया सकता है।

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