मदर्स डे विशेष: एक दिन का श्रवण कुमार
केकड़ी 14 मई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल बालमुकुंद वैष्णव ) आजकल एक दिन के अनेक त्योहारों का चलन है जिसमें लोग इच्छा के हिसाब से नहीं ट्रेंड के हिसाब से मानते हैं। उसमें से कुछ है mother’s day और father’s day लोगों को अपने माता पिता का ध्यान रखना बस इस एक दिन में ही याद आता है। व्यस्त दौड़भाग की दुनिया में आज संबंधों के लिए निम्न स्थान प्राप्त है। संबंध का आधार आजकल प्रेम नहीं लालच हो गया है। जिन माता पिता ने अपना पेट काट काट कर अपने बच्चों की परवरिश की उनके वृद्ध होते ही उन्हें वृद्धाश्रम का कमरा दिखा दिया जाता है। गांव में आज भी माता पिता की सेवा की जाती है लेकिन शहरों में भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते मां-बाप के सम्मान में कमी आई है शहरों में वृद्धाश्रम में वृद्ध बुढ़े माता-पिता की बढ़ती संख्या इसका प्रमाण है। कारण कि अब वे हमारी lifestyle में बोझ बन रहे हैं और पर्सनल लाइफ में इनकी भूमिका नहीं होनी चाहिए। और फिर इन एक दिन के त्योहारों के लिए ही उन मां बाप की याद आती है क्योंकि सोशल मीडिया के ट्रेंड उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं और वह एक दिन का मातृ दिवस और पितृ दिवस मनाते हैं। आजकल सभी बदलाव चाहते हैं और कहते हैं कि पुरानी चीजों से ध्यान हटाकर नयी सोच अपनाना चाहिए। पर प्रश्न यह है की क्या यह मां बाप के लिए भी उचित है ? अगर मां बाप इस आधुनिक युग में पुराने हो रहे हैं तो उनको भी हमारी ज़िन्दगी से किनारे कर देना चाहिए क्या । यह एक दिन की सेवा अच्छी तो है पर दुखद भी लगती है कि हमें मां और पिता के लिए एक दिन ऐसा मनाना पड़ रहा है। क्या हम 365 दिन यह नहीं मना सकते हैं? उस एक दिन के लिए हम हमारी स्टोरी, पोस्ट, स्टेटस पर माता पिता के साथ फोटो डालकर शान समझ रहे हैं पर वह झूठी होती है। उस एक दिन के श्रवण कुमार बनने का क्या फायदा ! हमारे पालक हमारे सबसे बड़े हितैषी होते हैं। जब उन्हें 365 में से 10 दिन याद करते हैं तो भी वह प्रसन्न ही होंगे। पर उन की उस पीड़ा को भी जानना होगा जो वह हृदय में छुपाए रहते हैं। दायरा,सीमा, DISTANCE सभी संबंधों में एक स्तर तक रखना चाहिए जिससे संतुलन बना रहे पर उसका आत्मनिरीक्षण भी करना चाहिए कि वह अनदेखी में तो नहीं बदल रहा।
आज के दिन सुबह से ही सभी लोग फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम टि्वटर पर अपनी मां के साथ सेल्फी लेकर फोटो पोस्ट कर रहे हैं और मातृत्व दिवस की शुभकामनाएं दे रहे हैं । शुभकामनाएं देना अच्छी बात है लेकिन माता-पिता का 365 दिन ही सम्मान करना चाहिए । बदलते परिवेश में लोग जवानी की दहलीज पार करते ही मां-बाप को भगवान भरोसे छोड़कर उनसे अलग रहने लगते हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं जो न्याय संगत नहीं है । माता-पिता के कदमों में जन्नत होती है इसलिए 1 दिन माता-पिता की सेल्फी लेकर अपलोड करने की बजाए सदैव उनकी सेवा करें
एक खबर पड़ी थी कि बेटा बाहर नौकरी पर गया और माँ अकेली लोखंडवाला के एक फ्लैट में रहती थी। वे मानसिक अवसाद से जूझ रही थी। 63 वर्षीय मां ने प्राण त्याग दिए। जब बेटा डेढ़ साल बाद घर आया तो घर अंदर से बंद था और जब खोला तो देखा कि वह मां की लाश मिली है। क्या उस बेटे ने बचपन में MOTHERSDAY मनाया नहीं होग